प्रायः यह देखा गया कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग के निर्धन ग्रामीण
शिल्पकार अपनी थोड़ी सी कार्य पूँजी की आवश्यकता के लिए वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेने
में कठिनाई का अनुभव करते थे । इस कठिनाई को दूर करने के उद्वेश्य से निगम ने प्रति
शिल्पी अधिकतम मु. 5,000/-रू. तक की कार्यशील पूँजी उपलब्ध करवाने की योजना शुरू की
ताकि सुगमता से उनकी यह जरूरत पूरी हो सके । |
योजना की मुख्य विशेषतायें
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योजना का शुभारम्भ : वर्ष 1997-98
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योजना :
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शिल्पियो को कार्यशील पूँजी सहायता प्राप्त करने के लिये एक पंजीकृत समूह/सभा का गठन करना होता है
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अधिकतम ऋण सीमा मु. 15,000/-रू.प्रति शिल्पी दो वर्षों तक ब्याज मुक्त, यद्यपि समूह/ अपने प्रशासनिक व्यय हेतु अपने शिल्पी सदस्य से 2 प्रतिशत ब्याज ले सकती है ।
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ग्रामीण क्षेत्र : मु. 35,000/- रू. से अधिक नहीं।
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शहरी क्षेत्र : मु. 35,000/- रू. से अधिक नहीं।
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पात्रता : |
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आवेदक शिल्पियो को सोसाइटी/समूह /सभा का सदस्य होना चाहिए।
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सभा सदस्यों की वार्षिक आय गरीबी की रेखा से कम होनी चाहिए।
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सभी सदस्य अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति के वर्ग के होने चाहिए।
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वे हिमाचल प्रदेश के स्थाई निवासी होने चाहिए ।
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सदस्य ऋण दोषी न हो।
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प्रक्रिया:
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उक्त वर्ग के शिल्पियों को एक समूह व संस्था बनानी होगी और उसे पंजीकरण करवाना होगा
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सभा को निगम के निर्धारित प्रपत्र पर सभा के सचिव अथवा सभा के मुखिया के माध्यम से
आवेदन करना होगा । जिला प्रबन्धक की अनुसंशा उपरांत मुख्यालय द्वारा ऋण स्वीकृत किया
जाता है ।
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व्यक्तिगत शिल्पकारों को भी सीधे तोर पर निगम के जिला प्रबन्धकों
द्वारा मु.15,000/- रू. की ऋण
राशि स्वीकृत
की जाती है।
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