1.
निदेशक मण्डल
निगम के
अधिनियम के
अनुसार निगम
की नीति
निर्धारण,
मार्गदर्शन
और सामान्य
निरीक्षण की
सभी शक्तियाँ
निगम के
अधिनियम के
अन्तर्गत
गठित निदेशक
मण्डल में
निहित है
निदेशक मण्डल
के सभी सदस्य
प्रदेश सरकार
द्वारा
मनोनीत किये
जाते हैं।
जिनकी कुल
संख्या सरकारी
व गैर सरकारी
सदस्यों को
मिलाकर 16 है।
निदेशक मण्डल
के गैर सरकारी
व सरकारी
सदस्यों को
प्रदेश सरकार
द्वारा तीन
वर्ष के लिए
मनोनीत किया
जाता है।
अधिनियम में
दिये
प्रावधानों
के अनुसार
निदेशकमण्डल
में अनुसूचित
जाति वर्ग से
कम से कम दो तथा
अनुसूचित जन
जाति वर्ग का
एक सदस्य लेना
आवश्यक है।
निदेशक
मण्डल के
सदस्यों में
से प्रदेश
सरकार द्वारा
एक सदस्य को
अध्यक्ष तथा
एक सदस्य को
उपाध्यक्ष
मनोनीत करने
का भी
प्रावधान है।2. प्रबन्ध निदेशक
निदेशक मण्डल
द्वारा
अनुमोदित नीतियों तथा कार्यक्रमों को लागू करने तथा निगम के
प्रशासकीय वित्तीय तथा सामान्य कार्यक्रमों के निष्पादन का उत्तरदायित्व प्रबन्ध
निदेशक का है ।
3. महा प्रबन्धक तथा अन्य मुख्यालय अधिकारी
निगम के प्रबन्धन एवं कार्यक्रमों को सुचारू रूप से
कार्यान्वित करने के लिए शिखर स्तर पर एक महा प्रबन्धक भी नियुक्त किया गया है।
महा प्रबन्धक, प्रबन्ध निदेशक के कार्य में उन्हें सहयोग करते हैं तथा उनके
निर्देशन से निगम के कार्यों के संचालन का दायित्व निभाते हैं।
इसके
अतिरिक्त निगम मुख्यालय स्तर पर उप-महा प्रबन्धक (प्रबोधन) उप-महा प्रबन्धक (परि.) मुख्य
लेखा अधिकारी जिला प्रबन्धक (प्रशासन) व तहसीलदार (वसूली)
भी कार्यरत है ।
4. जिला स्तरीय व्यवस्था
हिमाचल प्रदेश के सभी बारह जिलों में निगम के अपने कार्यालय काम कर रहे है तथा सभी जिलों में अपने अधिकारी,जिलाप्रबन्धकपदपरकार्यकररहेहै।
5. उप-कार्यालय स्तरीय व्यवस्था
1. सहायक प्रबन्धक
(विकास) कार्यालय, भरमौर, जिला चम्बा ।
2. सहायक प्रबन्धक
(विकास) कार्यालय, देहरा, जिला काँगड़ा ।
3. सहायक प्रबन्धक
(विकास) कार्यालय, सरकाघाट, जिला मण्डी ।
4. सहायक प्रबन्धक
(विकास) कार्यालय, काज़ा, जिला लाहौल एवं स्पिति ।
5. सहायक प्रबन्धक
(विकास) कार्यालय, जुब्बल जिला शिमला ।
इन उप-कार्यालयों
के प्रभारी अधिकारी, सहायक प्रबन्धक (विकास) हैं । सहायक प्रबन्धक (विकास) को जिला प्रबन्धक, के समान ऋण स्वीकृत करने और मार्जिन मनी चैकमार्जिन
मनी डिपाँजिट जारी करने की शक्तियाँ दी गई है। अब इन
कार्यालयों से कोई भी ऋण मामला स्वीकृत करने हेतु जिला प्रबन्धक को नहीं भेजा जाता है। यह
व्यवस्था इन जिलों के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के परिवारों
की सुविधा के लिये बनाई गई है।
उपरोक्त के
अतिरिक्त चम्बा में पांगी क्षेत्र की अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति की आबादी
का ध्यान रखते हुए निगम के निदेशक मण्डल द्वारा वर्ष 1996-97 में क्षेत्रीय सहायक
का पद सृजित किया गया है जो खण्ड विकास अधिकारी, किलाड की देख-रेख में निगम का
समस्त कार्य निपटाता है इसके अतिरिक्त कुल्लु जिले के आनी एवं निरमण्ड खण्डों के
लिए भी एक
क्षेत्रीय सहायक का पद सृजित है ।
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Last Reviewed/Updated on : 16-November-2013 |