हिमाचल प्रदेश अपने साधारण, मेहनतकश लोगों व केन्द्र व राज्य सरकार की प्रगतिशील नीतियों के कारण देश में जीवन्त अर्थव्यवस्था बनती जा रही है। आज के परिपेक्ष में हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था देश में सबसे अधिक सम्पन्न तथा तीव्र गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में जानी जाती है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2018-19 में राज्य की अर्थव्यवस्था के 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने की सम्भावना है।
राज्य सकल घरेलू उत्पाद, प्रचलित भावों पर वर्ष 2016-17 में ृ1,25,122 करोड़ से 9.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्ष 2017-18 में ृ1,36,542 करोड़ रहा। स्थिर भाव ;2011.12द्ध पर वर्ष 2016-17 में ृ1,03,038 करोड़ से 6.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्ष 2017-18 में ृ1,09,747 करोड़ रहा, जोकि गत वर्ष में 7.0 प्रतिशत थी। सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि मुख्यतः सामुदायिक व व्यैक्तिक सेवाओं 20.4 प्रतिशत, वित्तीय व स्थावर सम्पदा में 4.5 प्रतिशत, यातायात व व्यापार 3.7 प्रतिशत, विनिर्माण क्षेत्र 8.5 प्रतिशत, निर्माण 1.1 प्रतिशत तथा विद्युत, गैस, व जलापूर्ति 2.8 प्रतिशत के कारण सम्भव हुई है, जबकि प्राथमिक क्षेत्र में 1.0 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्वि रही। खाद्य उत्पादन वर्ष 2016-17 में 15.63 लाख मी.टन से कम होकर वर्ष 2017-18 में 15.31 लाख मी.टन रहा जबकि वर्ष 2018-19 में 16.69 लाख मी.टन का लक्ष्य है। फल उत्पादन वर्ष 2017-18 में 7.68 प्रतिशत की कमी के साथ 5.65 लाख मी.टन रहा जोकि वर्ष 2016-17 में 6.12 लाख मी.टन था तथा वर्ष 2018-19 में दिसम्बर, 2018 तक उत्पादन 4.06 लाख मी.टन हुआ है।
वर्ष 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय प्रचलित भाव पर ृ1,49,028 से बढ़कर वर्ष 2017-18 में ृ1,60,711 हो गई जोकि 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
अग्रिम अनुमानों के अनुसार तथा दिसम्बर, 2018 की आर्थिक स्थिति के दृष्टिगत वर्ष 2018-19 में विकास दर 7.3 प्रतिशत के आसपास रहेगी।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था जोकि मुख्यतः कृषि व सम्बन्धित क्षेत्रों पर ही निर्भर है। 1990 के दशक में विशेष उतार चढ़ाव नहीं आए और विकास दर अधिकांशतः स्थिर रही। अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र से उद्योग व सेवा क्षेत्रों के पक्ष में रूझान पाया गया क्योंकि कृषि क्षेत्र का कुल राज्य घरेलू उत्पाद में योगदान जो घटकर वर्ष 1950-51 में 57.9 प्रतिशत था तथा घटकर 1967-68 में 55.5 प्रतिशत, 1990-91 में 26.5 प्रतिशत और 2017-18 में 8.8 प्रतिशत रह गया।
उद्योग व सेवा क्षेत्रों का प्रतिशत योगदान 1950-51 में क्रमशः 1.1 व 5.9 प्रतिशत से बढ़कर 1967-68 में 5.6 व 12.4 प्रतिशत, 1990-91 में 9.4 व 19.8 प्रतिशत और 2017-18 में 29.2 व 43.3 प्रतिशत हो गया। शेष क्षेत्रों में 1950-51 के 35.1 प्रतिशत की तुलना में 2017-18 में घटकर 27.5 प्रतिशत रह गया। .
उद्योग व सेवा क्षेत्रों का प्रतिशत योगदान 1950-51 में क्रमशः 1.1 व 5.9 प्रतिशत से बढ़कर 1967-68 में 5.6 व 12.4 प्रतिशत, 1990-91 में 9.4 व 19.8 प्रतिशत और 2017-18 में 29.2 व 43.3 प्रतिशत हो गया। शेष क्षेत्रों में 1950-51 के 35.1 प्रतिशत की तुलना में 2017-18 में घटकर 27.5 प्रतिशत रह गया। .
कृषि क्षेत्र के घट रहे अंशदान के बावजूद भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र की महत्ता पर कोई असर नहीं पड़ा। राज्य की अर्थव्यवस्था का विकास अधिकतर कृषि तथा उद्यान उत्पादन द्वारा ही निर्धारित होता है और सकल घरेलू उत्पाद में भी इसका मुख्य योगदान रहता है। अन्य क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव रोजगार, अन्य आदान तथा व्यापार सम्बद्धताओं के कारण रहा है। सिंचाई सुविधाओं के अभाव में हमारा कृषि उत्पादन अभी भी अधिकांशतः सामयिक वर्षा व मौसम स्थिति पर निर्भर करता है। सरकार द्वारा भी इस क्षेत्र को उच्च प्राथमिकता दी गई है।
राज्य ने फलोत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। विविध जलवायु, उपजाऊ गहन और उपयुक्त निकासी वाली भूमि तथा भू-स्थिति में भिन्नता एवं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में समशीतोषण से उप्पोषण कटिबन्धीय फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। प्रदेश का क्षेत्र फलोत्पादन में सहायक व सम्बन्धी उत्पाद जैसे फूल, मशरूम, शहद और हॉप्स की पैदावार के लिए भी उपयुक्त है।
वर्ष 2018-19 में ;दिसम्बर, 2018 तकद्ध 4ण्06 लाख टन फलों का उत्पादन हुआ तथा 2,004 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र फलों के अधीन लाने का लक्ष्य है जबकि दिसम्बर,2018 तक 2,351 हैक्टेयर क्षेत्र फलों के अधीन लाया जा चुका है तथा इसी अवधि में 6.50 लाख विभिन्न प्रजातियों के फलों के पौधों का वितरण किया गया। प्रदेश में बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में 16.92 लाख टन सब्जी उत्पादन हुआ जबकि वर्ष 2016-17 में 16.54 लाख टन का उत्पादन हुआ था जो कि 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्ष 2018-19 में बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन 16.50 लाख टन होने का अनुमान है।
हिमाचल प्रदेश सरकार मौसम परिवर्तन से तालमेल बिठाने हेतु महत्वाकांक्षी योजना पर काम रही है। राज्य की कार्य योजना में मौसम परिवर्तन से सम्बन्धित संस्थागत क्षमता का सृजन तथा क्षेत्रवार गतिविधियों को अमल में लाना है।
प्रदेश की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था की आवश्यकता को देखते हुए सरकार ने एक कार्यक्रम प्रारम्भ किया है जिसमें राज्य को निरन्तर निर्बाध विद्युत की आपूर्ति की जा रही है। विद्युत के उत्पादन, संचारण तथा वितरण को बढ़ाने के लिए कई पग उठाए गए हैं। ऊर्जा संसाधन के रूप में जलविद्युत आर्थिक रूप से व्यवहारिक प्रदूषण रहित तथा पर्यावरण के अनुकूल है। इस क्षेत्र के पुनर्गठन के लिए राज्य की विद्युत नीति सभी पहलुओं जैसे कि अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन संरक्षण की क्षमता, उपलब्धता, वहन करने योग्य, दक्षता, पर्यावरण संरक्षण व प्रदेश के लोगों को रोज़गार सुनिश्चित करने पर जोर देती है और निजी क्षेत्रों के योगदान को भी प्रोत्साहित करती है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा प्रदेशवासी निवेशकों के लिए 2 मैगावाट की लघु परियोजनाओं को आरक्षित रखा गया है और 5 मैगावाट की परियोजनाओं तक उन्हें प्राथमिकता दी जाती है।
पर्यटन, अर्थव्यवस्था में वृद्धि करने का एक प्रमुख साधन है तथा राजस्व प्राप्ति का एक महत्त्वपूर्ण सत्रोत है तथा विविध प्रकार के रोज़गारों का जनक है। राज्य सरकार ने पर्यटन विकास के लिए उपयुक्त आधारभूत सुविधाओं की संरचना की है जिनमें नागरिक सुविधाओं का प्रावधान, सड़क मार्ग, दूरसंचार तंत्र, विमानपत्तन, यातायात सुविधाएं, जलापूर्ति तथा नागरिक सुविधाएं इत्यादि उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इसके परिणाम स्वरूप उच्च-स्तरीय प्रचार से घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों के आगमन में पिछले कुछ वर्षों के दौरान महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है जोकि निम्नलिखित है।
सूचना प्रौद्योगिकी में रोजगार सृजन और राजस्व अर्जन की काफी संभावनाएं हैं। हिमस्वान विभिन्न जी2जी, जी2सी, जी2बी, ई-प्रोक्योरमेंट और ई-समाधान आदि प्रदान करता है।
प्रशासन में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए प्रणालियाँ। राज्य भर में 2095 सरकारी कार्यालय हिमस्वान नेटवर्क के माध्यम से जुड़े हुए हैं।
2019-20 के लिए वार्षिक योजना `7100.00 करोड़ प्रस्तावित की गई है जो चालू वर्ष 2018 के योजना आकार से 12.7 प्रतिशत अधिक होगी -19.
कीमतों पर नियंत्रण सरकार की प्राथमिकता सूची में है। 2018-19 के दौरान हिमाचल प्रदेश में श्रमिक वर्ग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्या पर आधारित मुद्रास्फीति 2.3 बढ़ी
नवंबर, 2018 में प्रतिशत जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 4.9 प्रतिशत थी।
सरकार की प्राथमिकता हमेशा सामाजिक कल्याण कार्यक्रम रही है।
दक्षता में सुधार के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं और
सार्वजनिक सेवा वितरण की गुणवत्ता।
वर्ष के दौरान प्राप्त कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:-
1) हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुशासन सूचकांक लागू किया है।
2) हिमाचल सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'शक्ति बटन ऐप' और 'गुड़िया हेल्पलाइन'शुरू की गई है।
3) वन, खनन और ड्रग माफिया से सख्ती से निपटने के लिए
'होशियार सिंह हेल्पलाइन' 1090 शुरू की गई है।
4) कल्याणकारी योजनाओं, रोजगार सृजन और जन-मंच की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन निगरानी प्रणाली
"हिम प्रगति" शुरू की गई है।
5) आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए मोबाइल ऐप सुविधा शुरू की गई।
6) "ई-पी.डी.एस." एच.पी. राज्य के 70 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को आसानी से रियायती दर पर राशन उपलब्ध कराने, निगरानी करने और उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए राज्य में मोबाइल ऐपलॉन्च किया गया है।
7) पर्यटकों को राज्य की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराना और स्थानीय युवाओं को सांस्कृतिक मार्गदर्शक के रूप में प्रशिक्षित करना, इस उद्देश्य से कि वे स्वयं
रोजगार के लिए
'आज पुरानी राहों से' नाम से एक योजना शुरू की गई है।
8) राज्य की सभी उचित मूल्य की दुकानों में
'प्वाइंट ऑफ सेल'(POS) मशीनें लगाई गई हैं।
9) सोलन, चंबा और हमीरपुर जिलों में नए महिला पुलिस थाने खोले गए हैं।
10) राज्य में नशे के खिलाफ एक व्यापक अभियान शुरू किया गया है और नशा विरोधी उपचार शुरू किया गया है।
11) 'सामाजिक सुरक्षा पेंशन' योजना के तहत बिना किसी आय सीमा के पेंशन पाने की आयु सीमा 80 से घटाकर 70 वर्ष कर दी गई।
l2) सामाजिक सुरक्षा पेंशन को बढ़ाकर `750/- कर दिया गया है और इस योजना के तहत 76,025 नए
पेंशन मामले स्वीकृत कर दिए गए हैं और कुल पात्र लाभार्थी अब 4,90,022 व्यक्ति हैं। 70 वर्ष और उससे अधिक आयु तथा 70 प्रतिशत विशेष योग्यजन पात्र व्यक्तियों की पेंशन बढ़ाकर `1,300 प्रति माह कर दी गई है।
13) संपर्क आधार पर महिला कर्मचारियों का मातृत्व अवकाश 135 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया गया है।
14) श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी बढ़कर 225/- हो गई।
15) हर माह मंत्रियों की अध्यक्षता में "जनमंच" के माध्यम से लोगों की समस्याओं का मौके पर ही निपटारा किया जाता है।
16) “हिमाचल गृहणी सुविधा योजना” के तहत नवंबर, 2018 तक राज्य में 32,134 नए एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।
17)केंद्र सरकार के
"उज्वला योगना" के तहत, 85,421 एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।
18) कक्षा 1 से 10+2 तक के 9 लाख से अधिक विद्यार्थियों को स्मार्ट वर्दी के दो सेट निःशुल्क प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।
19) इस प्री-प्राइमरी कार्यक्रम के तहत राज्य के चयनित 3,391 स्कूलों में नर्सरी और केजी कक्षाएं शुरू की गई हैं, जिनमें 23,800 बच्चों का नामांकन हुआ है।
20) राज्य के 137 डिग्री कॉलेजों में से 114 कॉलेजों में मुफ्त वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है।
21) राज्य में उन परिवारों के लिए हिम केयर योजना शुरू की गई है जो
आयुष्मान भारत योजनाया किसी अन्य स्वास्थ्य प्रतिपूरक योजना के तहत कवर नहीं हैं।
इस योजना के तहत अस्पताल में इनडोर मरीज के रूप में भर्ती होने वाले परिवार के किसी भी सदस्य को ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलेगा।
22) नागरिकों को विभिन्न चिकित्सा परीक्षण सुविधाएं प्रदान करने के लिए
"मुख्यमंत्री निरोग योजना" शुरू की गई है। इस योजना के तहत राज्य में 130 वेलनेस सेंटर स्थापित किये जायेंगे।
23) राज्य में 108 बाइक एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई है। हिमाचल उत्तर भारत में यह सेवा शुरू करने वाला पहला राज्य है।
24) शिमला, सिरमौर और चंबा जिलों के 25 स्वास्थ्य उप केंद्रों और जनजातीय क्षेत्र किलाड़ में टेली-मेडिसिन सुविधाएं शुरू की गई हैं, इस सुविधा से 29,000 लोग लाभान्वित हुए हैं।
25) Yoga facility has been started in selected 471 Ayurvedic Health Centres after witnessing its importance.
26) राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए `25 करोड़ आवंटित करके एक नई योजना
"प्राकृतिक खेती खुश-हाल किसान" शुरू की गई है। राज्य का बजट।
27) किसानों को 10.31 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये हैं।
28) राज्य के बागवानों को नवीनतम तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए राज्य में एम-किसान मोबाइल पोर्टल योजना शुरू की गई है।
इस योजना के तहत 6.90 लाख किसानों का पंजीकरण किया गया है।
29) पर्यटकों के लिए शिमला से चंडीगढ़ और चंडीगढ़ से शिमला के लिए हेली-टैक्सी सेवा शुरू की गई है।
30) युवाओं को उद्यमिता के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए "मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना" शुरू की गई है।
31) “मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप योजना” के तहत 8 इन्क्यूबेशन सेंटरों में 27 स्टार्ट-अप शुरू किए गए हैं और 3 होनहार उद्यमियों को पुरस्कृत किया गया है।
32) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की एक बटालियन को मंजूरी दी गई है।
33) 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को धार्मिक स्थलों के दर्शन कराने के लिए देव भूमि दर्शन योजना शुरू की गई है।
34) प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के संबंध में उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य को तीन पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
35) प्रदेश को
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के संबंध में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
36) स्वास्थ्य के क्षेत्र में असाधारण प्रदर्शन के लिए राज्य को चार पुरस्कार मिले हैं।
37) 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय `1,60,711 के स्तर को छू गई है, जो 2016-17 की तुलना में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि है और अनुमान है कि
`1,76,968 2018-19 में