राज्य सकल घरेलू उत्पाद, कारक लागत पर प्रचलित भावों पर वर्ष
2015-16 में ृ1,13,555 करोड़ से 9.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्ष 2016-17 में
ृ1,24,236 करोड़ रहा। स्थिर भाव पर दर वर्ष 2014-15 में ृ96,274 करोड़ से 6.9 प्रतिशत
की वृद्धि के साथ वर्ष 2016-17 में ृ1,02,954 करोड़ रहा, जोकि गत वर्ष में 8.1
प्रतिशत थी। सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि मुख्यतः सामुदायिक व व्यैक्तिक सेवाओं
18.1 प्रतिशत, यातायात व व्यापार 8.2 प्रतिशत, विनिर्माण क्षेत्र 7.1 प्रतिशत,
वित्तीय व स्थावर सम्पदा में 5.8 प्रतिशत, निर्माण 5.4 प्रतिशत तथा विद्युत, गैस,व
जलापूर्ति 2.9 प्रतिशत के कारण सम्भव हुई है, जबकि प्राथमिक क्षेत्र में कमी 0.7
प्रतिशत कम रही। खाद्य उत्पादन वर्ष 2015-16 में 16.34 लाख मी0टन से बढ़कर वर्ष
2016-17 में 17.45 लाख मी0टन रहा जबकि वर्ष 2017-18 में 16.45 मी0टन का लक्ष्य है।
फल उत्पादन वर्ष 2016-17 में 34.1 प्रतिशत की कमी के साथ 6.12 लाख मी0टन रहा जोकि
वर्ष 2015-16 में 9.29 लाख मी0टन था तथा वर्ष 2017-18 में दिसम्बर, 2017 तक उत्पादन
5.00 लाख मी0टन हुआ है।
वर्ष 2015-16 में प्रति व्यक्ति आय प्रचलित भाव पर ृ1,34,089
से बढ़कर वर्ष 2016-17 में ृ1,46,294 हो गई जो कि 9.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
अग्रिम अनुमानों के अनुसार तथा दिसम्बर, 2017 की आर्थिक
स्थिति के दृष्टिगत वर्ष 2017-18 में विकास दर 6.3 प्रतिशत के आसपास रहेगी।
्रदेश की अर्थव्यवस्था जोकि मुख्यतः कृषि व सम्बन्धित
क्षेत्रों पर ही निर्भर है। 1990 के दशक में विशेष उतार चढ़ाव नहीं आए और विकास दर
अधिकांशतः स्थिर रही। अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र से उद्योग व सेवा क्षेत्रों के
पक्ष में रूझान पाया गया क्योंकि कृषि क्षेत्र का कुल राज्य घरेलू उत्पाद में
योगदान जो वर्ष 1950-51 में 57.9 प्रतिशत था तथा घटकर 1967-68 मंे 55.5 प्रतिशत,
1990-91 में 26.5 प्रतिशत और 2016-17 में 9.7 प्रतिशत रह गया।
उद्योग व सेवा क्षेत्रों का प्रतिशत योगदान 1950-51 में क्रमशः
1.1 व 5.9 प्रतिशत से बढ़कर 1967-68 में 5.6 व 12.4 प्रतिशत, 1990-91 में 9.4 व 19.8
प्रतिशत और 2016-17 में 25.2 व 44.0 प्रतिशत हो गया। शेष क्षेत्रों में 1950-51 के
35.1 प्रतिशत की तुलना में 2016-17 में 30.8 प्रतिशत का सकारात्मक सुधार हुआ है।
ककृषि क्षेत्र के घट रहे अंशदान के बावजूद भी प्रदेश की
अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र की महत्ता पर कोई असर नहीं पड़ा। राज्य की अर्थव्यवस्था
का विकास अधिकतर कृषि तथा उद्यान उत्पादन द्वारा ही निर्धारित होता है और सकल घरेलू
उत्पाद में भी इसका मुख्य योगदान रहता है। अन्य क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव
रोजगार, अन्य आदान तथा व्यापार सम्बद्धताओं के कारण रहा है। सिंचाई सुविधाओं के
अभाव में हमारा कृषि उत्पादन अभी भी अधिकांशतः सामयिक वर्षा व मौसम स्थिति पर
निर्भर करता है। सरकार द्वारा भी इस क्षेत्र को उच्च प्राथमिकता दी गई है।
राज्य ने फलोत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
विविध जलवायु, उपजाऊ गहन और उपयुक्त निकासी वाली भूमि तथा भू-स्थिति में भिन्नता
एवं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में समशीतोषण से उप्पोषण कटिबन्धीय फलों के उत्पादन के
लिए उपयुक्त है। प्रदेश का क्षेत्र फलोत्पादन में सहायक व सम्बन्धी उत्पाद जैसे
फूल, मशरूम, शहद और हाॅप्स की पैदावार के लिए भी उपयुक्त है।
वर्ष 2017-18 में ;दिसम्बर, 2017 तकद्ध 5ण्00 लाख टन फलों का
उत्पादन हुआ तथा 3,000 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र फलों के अधीन लाने का लक्ष्य है
जिसके फलस्वरूप तक 2,552 हैक्टेयर क्षेत्र फलों के अधीन लाया जा चुका है तथा
दिसम्बर,2017 तक 6.69 लाख विभिन्न प्रजातियों के फलों के पौधों का वितरण किया गया।
प्रदेश में बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2016-17 में
16.54 लाख टन सब्जी उत्पादन हुआ जबकि वर्ष 2015-16 में 16.09 लाख टन का उत्पादन हुआ
था जो कि 2.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्ष 2017-18 में बेमौसमी सब्जियों का
उत्पादन 15.40 लाख टन होने का अनुमान है।
हिमाचल प्रदेश सरकार मौसम परिवर्तन से तालमेल बिठाने हेतु
महत्वाकांक्षी योजना पर काम रही हैै। राज्य की कार्य योजना में मौसम परिवर्तन से
सम्बन्धित संस्थागत क्षमता का सृजन तथा क्षेत्रवार गतिविधियों को अमल में लाना है।
प्रदेश की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था की आवश्यकता को देखते हुए
सरकार ने एक कार्यक्रम प्रारम्भ किया है जिसमें राज्य को निरन्तर निर्बाध विद्युत
की आपूर्ति की जा रही है। विद्युत के उत्पादन, संचारण तथा वितरण को बढ़ाने के लिए कई
पग उठाए गए हैं। ऊर्जा संसाधन के रूप में जलविद्युत आर्थिक रूप से व्यवहारिक
प्रदूषण रहित तथा पर्यावरण के अनुकूल है। इस क्षेत्र के पुनर्गठन के लिए राज्य की
विद्युत नीति सभी पहलुओं जैसे कि अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन संरक्षण की क्षमता,
उपलब्धता, बहन करने योग्य, दक्षता, पर्यावरण संरक्षण व प्रदेश के लोगों को रोज़गार
सुनिश्चित करने पर जोर देती है और निजी क्षेत्रों के योगदान को भी प्रोत्साहित करती
है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा प्रदेशवासी निवेशकों के लिए 2 मैगावाट की लघु
परियोजनाओं को आरक्षित रखा गया है और 5 मैगावाट की परियोजनाओं तक उन्हें प्राथमिकता
दी जाती है।
पर्यटन अर्थव्यवस्था में वृद्धि करने का एक प्रमुख साधन है तथा
राजस्व प्राप्ति का एक महत्त्वपूर्ण सत्रोत है तथा विविध प्रकार के रोज़गारों का जनक
है। राज्य सरकार ने पर्यटन विकास के लिए उपयुक्त आधारभूत सुविधाओं की संरचना की है
जिनमें नागरिक सुविधाओं का प्रावधान, सड़क मार्ग, दूरसंचार तंत्र, विमानपत्तन,
यातायात सुविधाएं, जलापूर्ति तथा नागरिक सुविधाएं इत्यादि उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
इसके परिणाम स्वरूप उच्च-स्तरीय प्रचार से घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों के आगमन में
पिछले कुछ वर्षों के दौरान महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है जोकि निम्नलिखित है।
1) सूचना प्रौद्योगिकी में रोज़गार सृजन व राजस्व अर्जन के व्यापक
अवसर हैं। प्रशासन में प्रवीणता व पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से सरकार ने
हिमस्वान के माध्यम से जी.टू.जी., जी.टू.सी., जी.टू.बी., ई-प्रक्योरमैंट, ई-समाधान
तंत्र इत्यादि प्रणालियां शुरू की है।
2) वर्ष 2018-19 की वार्षिक योजना ृ6,300 करोड़ की निर्धारित की गई
है जोकि वर्ष 2017-18 से 10.5 प्रतिशत अधिक है।
3) मूल्य नियन्त्रण सरकार की हमेशा प्रमुखता सूची में रहा हैै।
हि0प्र0 श्रमिक वर्ग खाद्य मूल्य सूचकांक वर्ष 2017-18 में राष्ट्रीय स्तर के 4.0
प्रतिशत की तुलना में माह दिसम्बर, 2017 तक 5.3 प्रतिशत रहा।
4) सामाजिक कल्याण कार्यक्रम राज्य सरकार की प्रमुख प्राथमिकता
रही हैै। लोक सेवाओं के संचालन हेतु सरकार द्वारा लगातार एवं ठोस प्रयास किए जा रहे
हैं।
5) राज्य के 70 वर्ष की आयु से ऊपर के वृद्धों को जो अन्य किसी प्रकार की पैन्शन
नहीं ले रहे हैं को बिना किसी आय सीमा के पैन्शन प्रदान की जाएगी ।
6) अद्वितीय व नवीनतम कार्यों को 100 दिन के लक्ष्य के साथ पूर्ण करने के लिए प्रदेश
सरकार के सभी विभागों को निर्देश दिये गये हैं।
7) प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों व पेंशनभोगियों को को 1.01.2016 से मूल वेतन पर
8 प्रतिशत अंतरिम राहत प्रदान कर दी गई है।
8) भारत सरकार द्वारा ‘‘समार्ट सिटि मिशन‘‘ के लिए नगर निगम, शिमला को अनुमोदित किया
गया है।
9) राज्य के 25 विभागों में ‘‘पब्लिक सर्विस गारन्टी एक्ट‘‘ के अन्तर्गत् 183 सेवाओं
को समयवद्ध एवं समाधान हेतु लागू किया गया है।
11) सामाजिक सुरक्षा पैन्शन को ृ650 से बढ़ाकर ृ700 प्रति माह किया गया है।
ऽ कौशल विकास योजना के अन्तर्गत् 1,58,100 प्रशिक्षुओं को ृ116 करोड़ प्रदान किए गए
हैं।
12) बैंकों द्वारा 43 प्रतिशत किसानों को क्रेडिट कार्ड आवंटित किए गए हैं।
13) राज्य में 18,38,036 राशनकार्ड धारकों को बढ़ती महंगाई से निजात दिलाने हेतु
रियायती दर पर आवश्यक खाद्य सामग्री प्रदान की जा रही है।
14) खेती को बढ़ाने व आवारा पशुओं, जंगली जानवरों तथा बंदरों से बचाने हेतू सरकार
द्वारा मुख्यमन्त्री खेत संरक्षण योजना हेतु अनुदान 80 प्रतिशत किया गया है।
15) मौसम आधारित फसलों के बीमा योजना पुनर्निर्माण के अन्तर्गत्
;आर.डब्ल्यू.वी.सी.आई.एस.द्ध द्वारा 2,86,378 किसानों को वर्ष 2016-17 के दौरान रवी
फसलों के लिए बीमित किया गया है।
16) 27,436 मेगावाट चिन्हित क्षमता में से 10,519 मेगावाट जल विद्युत का दोहन किया जा चुका है, जो 38.34 प्रतिशत है।
17) उद्यान क्षेत्र में विविधता हेतु 156.19 हैक्टेयर भूमि को माह दिसम्बर, 2017 तक
फूल उत्पादन के अन्तर्गत लाया गया है।
18) मौसम आधारित फसल बीमा योजना ;आर.डब्ल्यू.वी.सी.आई.एस.द्ध सेब बहुल वाले 36
खण्डों, आम बहुल वाले 41 खण्डों, किन्नू बहुल वाले 15 खण्डों, प्लम बहुल वाले 13
खण्डों व आड़ू बहुल वाले 5 खण्डों में लागू की गई है।
19) वर्ष 2016-17 के दौरान 1,596 मिलियन युनिट विद्युत का उत्पादन किया गया है।
ऽ प्रदेश में उपलब्ध पन-बिजली की कुल 27,436 मैगावाट क्षमता में से 10,519 मैगावाट
पन-बिजली का दोहन कर लिया गया है जोकि कुल क्षमता का 38.34 प्रतिशत है।
20) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना गारंटी के तहत 4,32,005 परिवारों
के लिए 156.54 लाख कार्य दिवस सृजित किए गए।
21) वर्तमान वित्त वर्ष में राजीव आवास योजना के अन्तर्गत 846 घरों का निर्माण किया
जा रहा है।
22) प्रदेश के सभी 12 जिलों में स्वच्छ भारत अभियान को एक परियोजना के रूप में चलाया
जा रहा है। हिमाचल प्रदेश स्वच्छता के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में जाना
जाता है।
23) मातृ-शक्ति बीमा योजना के अन्तर्गत, गरीबी रेखा से नीचे रह रही 10 से 75 वर्ष की
महिलाओं को उनकी अपंगता अथवा मृत्यु पर लाभान्वित किया जा रहा है।
24) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत 3,280 महिलाओं के स्वयं सहायता
समूहों को सहायता प्रदान की गई ।
25) माननीय सांसदों द्वारा दो चरणों में सांसद आदर्श ग्राम योजना के अन्तर्गत 10
पंचायतों को गोद लिया गया है।
26) शहरी स्थानीय निकायों द्वारा 1,416 कि0मी0 सड़कें/पथ/ गलियांे/नालियों का
रख-रखाव किया जा रहा है।
27) लाल बहादुर शास्त्री कामगार एवम् आजीविका योजना के अन्तर्गत प्रदेश के नये
स्थापित नगर पालिकाओं और नगर निगमों को दैनिक श्रमिक रोजगार के लिए ृ1.50 करोड़
उपलब्ध करवाये गये।
28) राज्य में विश्वविद्यालय स्तर तक छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है।
29) नौवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक समुदाय और बीपीएल परिवारों की छात्राएं
शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में छात्रावास की सुविधा प्रदान की जा रही है।
30) एससी/एसटी/ओबीसी को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के तहत कुल 45,351 छात्र लाभान्वित हुए हैं।
31) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में सुधार के लिए दो सरकार। प्रत्येक जिले के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों को आदर्श मॉडल स्कूल के रूप में नामित किया गया है।
32) समाज के वंचित वर्ग की शैक्षिक स्थिति में सुधार के लिए राज्य/केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न चरणों में विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति/वजीफा प्रदान किया जा रहा है।
33) जिला मंडी में मेडिकल यूनिवर्सिटी स्थापित की जानी है।
34) राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 95 स्वास्थ्य संस्थानों को 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने के लिए पहचाना गया है।
35) मुख्यमंत्री राज्य स्वास्थ्य देखभाल योजना के तहत चयनित परिवारों को 1.05 लाख स्मार्ट कार्ड जारी किये गये हैं।
36) "बेटी है अनमोल योजना" के तहत 16,908 लड़कियां लाभान्वित हुई हैं।
37) मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत दिसंबर, 2017 तक 691 लाभार्थियों को कवर किया गया।
38) चालू वर्ष के दौरान अंतरजातीय विवाह के तहत 219 जोड़े लाभान्वित हुए हैं और अनुदान 25,000 से बढ़ाकर 50,000 कर दिया गया है।
39) माता शबरी महिला सशक्तिकरण योजना के तहत पात्र महिलाओं को गैस कनेक्शन खरीदने के लिए `1,300 प्रदान किए जा रहे हैं और कुल 5,100 महिलाएं लाभान्वित हुई हैं।
40) बलात्कार पीड़ितों को वित्तीय सहायता और सहायता सेवाएँ प्रदान करने के लिए `75,000 की राशि प्रदान की जा रही है।
41) प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के तहत, गर्भवती के खाते में सीधे `5,000/- का नकद प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।
पहले जीवित बच्चे के लिए महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं।
42) चालू वित्तीय वर्ष में मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना के तहत 16,521 बच्चे लाभान्वित हुए हैं।
43) जवाबदेही, पारदर्शिता, दक्षता सुनिश्चित करने और सामान्य सार्वजनिक वेब सेवाओं के लिए सेवा वितरण तंत्र में सुधार करने के लिए
राज्य में सभी योजना एवं विशेष क्षेत्रों के लिए शुरू किया गया है।
44) हिमाचल एकमात्र राज्य है जिसने राज्य के 2,260 सरकारी कार्यालयों को क्षैतिज कनेक्टिविटी प्रदान की है।
45) 2,308 लोक मित्र केंद्र सक्रिय हैं और 28 जी2सी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
46) सभी 12 जिलों में ई-डिस्ट्रिक्ट के तहत 52 ई-सेवाएं शुरू की गईं।
47) आधार योजना के तहत 2017 की अनुमानित जनसंख्या के मुकाबले 75.73 लाख (105%) से अधिक निवासियों के लिए यूआईडी तैयार की गई है।
48) प्रति व्यक्ति आय 2016-17 में `1,46,294 के स्तर को छू गई है, जो 201516 की तुलना में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि है और 2017-18 में `1,58,462 होने का अनुमान है।